आधुनिक जीवन शैली की देन है स्पोन्डेलाइटिस

जैसे-जैसे मनुष्य के पास भौतिक संसाधनों की सुविधा होने लगी है वैसे-वैसे शारीरिक श्रम कम होने लगा है और मनुष्य उतना ही विलासित होता जा रहा है। शारीरिक श्रम कम होने व विलासित जीवन जीने की आदत से मनुष्य के शरीर को कई विकारों का सामना करना पड रहा है। जिनमें सरवाइकल स्पोन्डेलाइटिस बिमारी भी है। अनियमित खानपान इस बिमारी को और भी बढाता है। सरवइकल स्पोन्डलाइटिस मे रीड की हड्डी के जोडों के बीच में सूजन हो जाने की वजह से मासपेसियों में अकडाहट हो जाती है। जिससे गर्दन पीठ व कंधों में दर्द होने लगता है। यह रोग शहरी क्षेत्र मे काम करने वाले लोगों की अपेक्षा गामीणों व महनतकशो मे बहुत ही कम होता है। जो व्यक्ति मेज पर काम करते है या लगतार कम्पयूटर पर काम करते है तथा काम की अधिकता, व काम जल्दी पूरा करने का तनाव भी उन के उपर हावी रहता है। ऎसी स्थिति में शरीर की सारी मासपेशिया कलगतार तनाव में रहती हैं, जिस कारण मासपेशिया कडी हो जाती हैं। ज्यादा खट्टा, वसायुक्त भोजन व मसलेदार भोजन निरन्तर खाते रेहने के कारण हडडियों के जोडों के बीच की साइनोवियल झिल्ली में यूरिक एसिड की मात्रा बढ जाती है और जोडों मे सुजन बढाती है। रीड जी हड्डी के जोडों मे जब यह सूजन अधिक हो जाती है तब रोगी को गर्दन में दर्द के साथ-साथ चक्कर, उबकायी व उलटी भी आने लगती है। हल्का-हल्का या अधिक सर मे दर्द होने लगता है, काम करने मे मन न लगना, हमेशा मानसिक तनाव रहना तथा चिढचिढापन भी बढ जाता है।
घरेलु उपाय- निमित व्यायाम, काम करने ही शैली में परिवर्तन खान पान में बदलाव कर एस बिमाती से दूर रहा जा सकता है। काम करते समय तनाव से बचे, कार्यालय मे हल्का-फुल्का वातावरण बनाकर काम करें। रात को जल्दी सोने व सुबह जल्दी उठाने की आदत डाले। प्रात: काल व्यायाम अवश्य करें। गर्दन का पुर्ण व्यायाम करना इस रोग से दूर रहने के लिये अति आवश्यक है। आधिक खट्टा, अधिक वसा(fat) युक्त खाना, नम्कीन-मीठा व खट्टा-मीठा साथ-साथ न खायें।
होम्योपैथिक उपचार:- बायोनिया- गर्दन मे दर्द् जब हिलने डुलने से बढे, करवट बदलने से चक्कर आना, कंधों व बाहों तक दर्द का बढ जान
कोनियम मैकुलेटम- गर्दन में दर्द के साथ चक्कर अत्यधिक अक्डाहट व कन्धों में ढीलापन रहना, हाथों में कमजोरी लगाना।
सीमिसीफ्यूगा रेसीमोसा:- यह औषधि महिलाओं में अधिक काम करती है। थोडा सा काम करन में ही अधिक थाकवट महसूस होना, गर्दन में दर्द के साथ चिढचिडापन रहना व सिर में दर्द रहना।
कोकुलस इन्डिका:- चलते फिरते हमेशा चक्कर आना, उल्टी जैसा लगना या उल्टी हो जाना, सिर में दर्द, आदि लक्ष्णों मे यह दवा काम करती है।
यदि शरीर मे यूरिक एसिड की अधिकता हो तो आरटिका उरेनस मदर टिनचर की 10-10 बूंद आधा कप पानी में दिन मे 3 बार लेने से रीढ के जोडों के दर्द मे आराम मिलता है
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